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Ram-Navami ke din Poodi Halwa khaenge !

राम-नवमी के दिन पूड़ी-हलवा खाएंगे ॥     "आज का दिन भारी गुजरने वाला था , पता था मुझे मगर फिर भी घर से निकलना था , तलाश में । तलाश भी किसकी ? जिंदगी की , एक किरण की , जो मुझे रास्ता दिखाती भविष्य की । मगर जब सूरज की तपिश से आँखे अंधरा जाए तो फिर कैसा दिन , कैसी रात , हर तरफ धुंधलका ही धुंधलका । मेरे गाँव में सूखा पड़े तीन साल हो गए , अन्न उगना क्या होता है ये धरती भी भुला चुकी थी । कुछ छोटे घास जो हरे काम पीले ज्यादा थे वही समय से लड़ने की हिम्मत दिखा रहे थे । गाँव के तालाब में अब कीचड़ भी न बचा था , पेड़ों की पत्तियां कब की झड़ कर साथ छोड़ गयी थी । गाँव अब गाँव नहीं रह गया था , ये बस एक बियाबान था जहां जिन्दा लाशें घूम रही थी बस इस इंतज़ार में की या तो बारिश हो जाए या फिर मौत ही आ जाए । ख़ैर , मै एक गरीब किसान हूँ , मेरे घर में मेरी माँ , बीवी , तीन बच्चे और दो बैल और दो बीघा जमीन । यही मेरी दुनिया है , यही मेरी संपत्ति । मेरे कई साथी आत्महत्या कर चुके है , कई शायद करने की सोच रहे होंगे । मैं भी सोचता हूँ बीच बीच में , मगर मेरे बाद मेरे परिवार का क्या होगा , यही विचार मुझे रो

नई सुबह का इंतज़ार फिर से है |

तुमने ठोकर सिर्फ मुझे नहीं मारा, ये ठोकर है हर उस गरीब को जो सपने देखता है अच्छे कल के । ये ठोकर है हर उस मजबूर को , जो हर सुबह उठ कर बस यही सोचता है के आज कुछ पैसे कमा लूँ  ताकि शाम को भूखा न सोना पड़े । ये ठोकर है हर उस उम्मीद को, जो उठती है मेरे साथ हर सुबह, मेहनत करती है पसीना बहाती है दिन भर और फिर थक कर दम तोड़ देती है हर शाम । पर हर सुबह फिर से आ जाती है मेरे पास , नई उम्मीद बन कर । मगर आज की ठोकर के बाद लगता नहीं की फिर से ऐसी सुबह आएगी । तुमने कहा की मै सड़क पर बैठा था जो गैरकानूनी है , सच कहा तुमने, मै तो भूल ही गया था , इस सड़क पर सिर्फ बईमान ही दूकान लगा सकते हैं , मगर मै बूढा ये समझ न पाया । बाप की उम्र का सही , गुस्सा था तो अरे दो - चार थप्पड़ ही मार लेते । हाथ जोड़े, विनती भी की, मगर तुम न माने और मार दिया  ठोकर मेरी जिंदगी को । तुमने सिर्फ टाइप-राइटर नहीं तोडा, तुमने तोडा है मेरा आज , मेरे आने वाले कल को । ये जो टुकड़े पड़े हैं ना, ये रिबन-नट-बोल्ट-स्पोक्स नहीं है, ये टुकड़े है मेरी दवा की शीशी की , ये टुकड़े है मेरे खाने के , ये टुकड़े है मेरी हर उस जरुरत की जो मुझे ज़ि

RESPECT YOUR INDEPENDENCE....Respect your INDIA

Independence Day : Do we have HOPE ?

                                         Ritwik, a 5 year old kid who lives next to my house, is selected to take part in the PT Team on the occasion of Independence Day. As a 5 year old kid he hardly knows meaning of Independence but his excitement rests with wearing bright white dress and lure of getting customary Laddoos. Probably this is the first occasion for him to see a Tri-colour unfurling with chant of Bharat Mata Ki Jai and Jai Hind . As per PT dress code, he is given an Orange and a Green ribbon to be tied on the hands. Hardly has he known anything about the symbolism behind this but yes as a kid he is happy to have coloured bands in hand. I was watching him practising his PT drill from my balcony and his beaming face made me to think about what exactly he is going to learn tomorrow, when he grows up. After few years, when he will read about the theoretical representation of colours 1 , which were taught to us as well, whether he will understand the true meaning o

One Year of HOPE(less) for Achhe Din

I am sad to see the line of action Modi's NDA govt is falling in.. Why your party is more concerned towards BEEF & EGG when there are lakhs starving...? Why your ministers are more concerned to up the tax bars when the tax paying middle class is suffering..? Why your members are barking free , e.g., Sakshi , Sadvi etc? Why there is no noose on black money and departmental corruptions? Why shying away from visiting Indian villages with absolutely no infrastructure and basic amenities? Remember, just 365 days ago, when Adani's wealth was $1.9 billion ( today it is $6 billion ) , when Advani-Joshi-Shourie were BJP leaders ( sidelined today) , when BJP was party of the workers ( not the Boardroom jokers) , when you had not made 19 foreign visits, . . . You were a HOPE .... You were the FUTURE .... You were the only OPTION ..... I don't want to loose the hope unless I have an option ! You cant take away my optimism with your naïve pol

Isn't it your duty as well???