Skip to main content

Posts

Showing posts with the label story

Naya Zamindar !

बात उन दिनों की है जब  देश नयी आज़ादी के जश्न में डूबा था , जगह जगह तिरंगा फहराया जा रहा था, नया राष्ट्रगान सबको रोमांचित कर रहा था । इन्ही सबके बीच बंगाल के एक पिछड़े गांव शिदीरपुर में चौधरी मोमिनुल हक़ का शासन चल रहा था । चौधरी बड़ी रसूखदार वाला जमींदार था ,  कहते हैं अँगरेज़ भी उनसे अदब से  पेश आते थे । जमींदार का घर गांव के एक छोर पर था , ऊँचे टीले पर महलनुमा एक बड़ा बंगला । सामने एक बड़ा सा तालाब और एक लम्बा अहाता , फिर शुरू होता था बड़ा सा दालान और दो तल्ले का बंगला ।    जमींदार अपने सारे फैसले ऊपरी मंजिल के बरामदे से ही सुनाया करता और गरीब गांववाले उसके हर फैसले को सर आँखों पर लेते ।     कहते है जब अमीरी सीमा पार कर जाए तो दिल गरीब हो जाया करता है , ठीक वैसा ही हुआ चौधरी के साथ । उसके कारिंदे आये दिन गरीब किसानों को परेशान करते , खड़ी फसल काट लिया करते , औरतो के साथ ज्यादती की तो कोई सीमा न थी । देश तो आज़ाद था मगर शिदीरपुर आज भी गुलाम था । समय बीतता गया और साथ ही चौधरी का अत्याचार भी । कहावत है की "जब पाप का घड़ा भर जाए तो कोई मसीहा आता है " और शायद गांव