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Showing posts with the label # NDA

कब शुरू कर रहे हैं आप अपना व्यापार ?

मैने पुछा - तो  कब शुरू कर रहे हैं आप अपना व्यापार ?  उत्तर - क्या कहा, अपना व्यापार ? मैंने पासा फेंका - हाँ भाई सुना है, इस मोदी सरकार ने सब ठीक कर दिया है और अब अपने देश में व्यापार खोलना और करना आसान हो गया है | इसलिए पूछ रहा हूँ ,  कब शुरू कर रहे हैं आप अपना व्यापार ? उत्तर - क्या मजाक करते हो , जो दिखता है वो है नहीं और जो है ही नहीं उसको वो दिखा रहें हैं सपने की तरह |  हाँ तो आते हैं मुंगेरी लाल के सपने की तरफ,   व्यापार करने के लिए मुफीद जगहों की हाल ही में आई नई सूचि से पता चला की भारत ने भारी छलांग लगाई है.  बस फिर क्या था, मोदी सरकार ने तुरंत इस खबर को लपक लिए और सारा का सारा श्रेय अपने प्रमुख के खाते में डाल दिया ।  दरअसल मोदी सरकार उस सरकारी महकमे की तरह हो गई है जिसमे काम कोई भी करे, अंत में श्रेय बड़े अधिकारी को ही जाता है और वैसे भी मोदी-शाह में भाजपा ( द पार्टी विद डिफरेंस) को पलट के रख दिया है ।   आज तो भाजपा बैतरणी हो गई है , कोई कितना भी बड़ा पापी क्यों न हो , भाजपा की गोदी में आते है सर्वशुद्ध हो जाता है । अब तो हालत देख के यही लगता है की ' राम तेरी गं

असली समाजवाद क्या है ?

एक छोटी सी कहानी सुनाता हूँ , हमारे अगल बगल भी इस कहानी के पात्र मिल जाएंगे अगर आप ध्यान से देखेंगे -   " एक बार एक भिखारी मेरे पास भीख मांगता हुआ आया, "भैया बाबू साहब हुई जाय , कुछ पैसा दय द बाबू " । मेरे पास खुले सिक्के नहीं थे सो झोले में रख सेव बढ़ाते हुए मैंने कहा , पैसा नहीं यही ले लो । भिखारी ने मुंह सिकोडा ," न भैया खाली पैसा दै द" ।  जाने क्यों बरबस ही ख्याल आया की नगद के चक्कर में क्यों है पता किया जाए , मैंने उसे १० रूपये का नोट दिया और वो खुश हो कर आगे बढ़ गया । थोड़ा उसके पीछे चल कर पता चला , वो सीधा पान की दूकान पर गया और मस्त पान-मसाला खरीदा और पुड़िया फाड़ मुंह में मसाला भर लिया "।    उस दिन मैंने कसम खाई की अब कभी भीख नहीं दूंगा , अब भी नहीं देता हूँ ।    खैर कहानी खत्म पैसा हज़म , कुछ ऐसा ही होता है हमारे राजनीति में , है ना ? "कठिन समय और असीमित शक्ति , किसी के व्यक्तित्व की सबसे बड़ी कसौटी है । बढ़िया व्यक्तित्व बेहतर होता जाता है और बद , समय के बदतर होता जाता है ।" इतिहास हमें कई उदहारण देता है | बहुत पुराने

Ram-Navami ke din Poodi Halwa khaenge !

राम-नवमी के दिन पूड़ी-हलवा खाएंगे ॥     "आज का दिन भारी गुजरने वाला था , पता था मुझे मगर फिर भी घर से निकलना था , तलाश में । तलाश भी किसकी ? जिंदगी की , एक किरण की , जो मुझे रास्ता दिखाती भविष्य की । मगर जब सूरज की तपिश से आँखे अंधरा जाए तो फिर कैसा दिन , कैसी रात , हर तरफ धुंधलका ही धुंधलका । मेरे गाँव में सूखा पड़े तीन साल हो गए , अन्न उगना क्या होता है ये धरती भी भुला चुकी थी । कुछ छोटे घास जो हरे काम पीले ज्यादा थे वही समय से लड़ने की हिम्मत दिखा रहे थे । गाँव के तालाब में अब कीचड़ भी न बचा था , पेड़ों की पत्तियां कब की झड़ कर साथ छोड़ गयी थी । गाँव अब गाँव नहीं रह गया था , ये बस एक बियाबान था जहां जिन्दा लाशें घूम रही थी बस इस इंतज़ार में की या तो बारिश हो जाए या फिर मौत ही आ जाए । ख़ैर , मै एक गरीब किसान हूँ , मेरे घर में मेरी माँ , बीवी , तीन बच्चे और दो बैल और दो बीघा जमीन । यही मेरी दुनिया है , यही मेरी संपत्ति । मेरे कई साथी आत्महत्या कर चुके है , कई शायद करने की सोच रहे होंगे । मैं भी सोचता हूँ बीच बीच में , मगर मेरे बाद मेरे परिवार का क्या होगा , यही विचार मुझे रो

Patriotism - A difficult Question

आज रविवार की सुबह अख़बार पढ़ते हुए, चाय की चुस्की ले रहा था की मेरी बेटी ने एक सवाल किआ - पापा , देशद्रोह क्या होता है ?   हैरानी की बात है की आज के छोटे बच्चे ऐसे कठिन सवाल पूछ लेते है की बड़े बड़ो की बोलती बंद हो जाए । नया दौर खतरनाक रूप से बुद्धिमान हो गया है , ऐसा लगता है ।    अभी पड़ोस के मिश्रा जी की हालत उनके यहाँ मेहमान आए रिश्तेदार के बच्चे ने ख़राब कर दी , मिश्रा जी अंग्रेजी में थोड़े अपंग है और बच्चा अँगरेज़ , हर सवाल अंग्रेजी में , हर बात अंग्रेजी में , सो मिश्रा जी ने अपने ही घर में जान बचाते फिर रहे थे ।    खैर वापस आता हु आज के सवाल पर - देशद्रोह क्या होता है ?   देश के साथ द्रोह को ही देशद्रोह कहते हैं , बेटी इतना सा उत्तर पाकर खुश हो गई । उसे समझ में क्या आया ये तो पता नहीं मगर इस सवाल ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया ।    चलिए अब ज़रा ध्यान से सोचते है इस विषय पर , क्या विभीषण ने लंका के साथ द्रोह किया था ? क्या जब राणा सांगा ने बाबर को न्यौता भेजा , वो द्रोह नहीं था ? या फिर सांगा के वो साथी जिन्होंने उसे जहर देकर मार डाला , क्या वो द्रोही थे ?   &quo

Independence Day : Do we have HOPE ?

                                         Ritwik, a 5 year old kid who lives next to my house, is selected to take part in the PT Team on the occasion of Independence Day. As a 5 year old kid he hardly knows meaning of Independence but his excitement rests with wearing bright white dress and lure of getting customary Laddoos. Probably this is the first occasion for him to see a Tri-colour unfurling with chant of Bharat Mata Ki Jai and Jai Hind . As per PT dress code, he is given an Orange and a Green ribbon to be tied on the hands. Hardly has he known anything about the symbolism behind this but yes as a kid he is happy to have coloured bands in hand. I was watching him practising his PT drill from my balcony and his beaming face made me to think about what exactly he is going to learn tomorrow, when he grows up. After few years, when he will read about the theoretical representation of colours 1 , which were taught to us as well, whether he will understand the true meaning o

India , Culture and Pornography

India , Culture and Pornography Part One: The Philosophy of Khajuraho  It’s been around 10 years; this was my first visit to Khajuraho. It was a shocking experience to see the statues, erotic expressions. I was wondering, WTF, in a temple how can these images be there? Intrigued with questions in my mind, I sat below a tree and was contemplating the motive behind such concept in a temple. An old man, looked a Seer, probably was tired therefore sat beside me under the shade. -"Hello", he looked at me and said. " Hi Sir, I responded with a smile. - So what are you doing here? I came to see temples as part of my History research activity. - So what did you find here, anything special, anything mysterious? Not really, but yes, these are not just temples, these are something else. No words to explain but I will not keep them under category of temples. - Hmmm, he took a pause and said, so you did not understand the core logic of erotic structu