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Patriotism - A difficult Question

आज रविवार की सुबह अख़बार पढ़ते हुए, चाय की चुस्की ले रहा था की मेरी बेटी ने एक सवाल किआ - पापा , देशद्रोह क्या होता है ?   हैरानी की बात है की आज के छोटे बच्चे ऐसे कठिन सवाल पूछ लेते है की बड़े बड़ो की बोलती बंद हो जाए । नया दौर खतरनाक रूप से बुद्धिमान हो गया है , ऐसा लगता है ।    अभी पड़ोस के मिश्रा जी की हालत उनके यहाँ मेहमान आए रिश्तेदार के बच्चे ने ख़राब कर दी , मिश्रा जी अंग्रेजी में थोड़े अपंग है और बच्चा अँगरेज़ , हर सवाल अंग्रेजी में , हर बात अंग्रेजी में , सो मिश्रा जी ने अपने ही घर में जान बचाते फिर रहे थे ।    खैर वापस आता हु आज के सवाल पर - देशद्रोह क्या होता है ?   देश के साथ द्रोह को ही देशद्रोह कहते हैं , बेटी इतना सा उत्तर पाकर खुश हो गई । उसे समझ में क्या आया ये तो पता नहीं मगर इस सवाल ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया ।    चलिए अब ज़रा ध्यान से सोचते है इस विषय पर , क्या विभीषण ने लंका के साथ द्रोह किया था ? क्या जब राणा सांगा ने बाबर को न्यौता भेजा , वो द्रोह नहीं था ? या फिर सांगा के वो साथी जिन्होंने उसे जहर देकर मार डाला , क्या वो द्रोही थे ?   &quo

Naya Zamindar !

बात उन दिनों की है जब  देश नयी आज़ादी के जश्न में डूबा था , जगह जगह तिरंगा फहराया जा रहा था, नया राष्ट्रगान सबको रोमांचित कर रहा था । इन्ही सबके बीच बंगाल के एक पिछड़े गांव शिदीरपुर में चौधरी मोमिनुल हक़ का शासन चल रहा था । चौधरी बड़ी रसूखदार वाला जमींदार था ,  कहते हैं अँगरेज़ भी उनसे अदब से  पेश आते थे । जमींदार का घर गांव के एक छोर पर था , ऊँचे टीले पर महलनुमा एक बड़ा बंगला । सामने एक बड़ा सा तालाब और एक लम्बा अहाता , फिर शुरू होता था बड़ा सा दालान और दो तल्ले का बंगला ।    जमींदार अपने सारे फैसले ऊपरी मंजिल के बरामदे से ही सुनाया करता और गरीब गांववाले उसके हर फैसले को सर आँखों पर लेते ।     कहते है जब अमीरी सीमा पार कर जाए तो दिल गरीब हो जाया करता है , ठीक वैसा ही हुआ चौधरी के साथ । उसके कारिंदे आये दिन गरीब किसानों को परेशान करते , खड़ी फसल काट लिया करते , औरतो के साथ ज्यादती की तो कोई सीमा न थी । देश तो आज़ाद था मगर शिदीरपुर आज भी गुलाम था । समय बीतता गया और साथ ही चौधरी का अत्याचार भी । कहावत है की "जब पाप का घड़ा भर जाए तो कोई मसीहा आता है " और शायद गांव

India , Culture and Pornography

India , Culture and Pornography Part One: The Philosophy of Khajuraho  It’s been around 10 years; this was my first visit to Khajuraho. It was a shocking experience to see the statues, erotic expressions. I was wondering, WTF, in a temple how can these images be there? Intrigued with questions in my mind, I sat below a tree and was contemplating the motive behind such concept in a temple. An old man, looked a Seer, probably was tired therefore sat beside me under the shade. -"Hello", he looked at me and said. " Hi Sir, I responded with a smile. - So what are you doing here? I came to see temples as part of my History research activity. - So what did you find here, anything special, anything mysterious? Not really, but yes, these are not just temples, these are something else. No words to explain but I will not keep them under category of temples. - Hmmm, he took a pause and said, so you did not understand the core logic of erotic structu