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कब शुरू कर रहे हैं आप अपना व्यापार ?

मैने पुछा - तो  कब शुरू कर रहे हैं आप अपना व्यापार ? 
उत्तर - क्या कहा, अपना व्यापार ?

मैंने पासा फेंका - हाँ भाई सुना है, इस मोदी सरकार ने सब ठीक कर दिया है और अब अपने देश में व्यापार खोलना और करना आसान हो गया है | इसलिए पूछ रहा हूँ , कब शुरू कर रहे हैं आप अपना व्यापार ?
उत्तर - क्या मजाक करते हो , जो दिखता है वो है नहीं और जो है ही नहीं उसको वो दिखा रहें हैं सपने की तरह | 

हाँ तो आते हैं मुंगेरी लाल के सपने की तरफ,  व्यापार करने के लिए मुफीद जगहों की हाल ही में आई नई सूचि से पता चला की भारत ने भारी छलांग लगाई है. बस फिर क्या था, मोदी सरकार ने तुरंत इस खबर को लपक लिए और सारा का सारा श्रेय अपने प्रमुख के खाते में डाल दिया । 

दरअसल मोदी सरकार उस सरकारी महकमे की तरह हो गई है जिसमे काम कोई भी करे, अंत में श्रेय बड़े अधिकारी को ही जाता है और वैसे भी मोदी-शाह में भाजपा ( द पार्टी विद डिफरेंस) को पलट के रख दिया है । 

 आज तो भाजपा बैतरणी हो गई है , कोई कितना भी बड़ा पापी क्यों न हो , भाजपा की गोदी में आते है सर्वशुद्ध हो जाता है । अब तो हालत देख के यही लगता है की ' राम तेरी गंगा मैली हो गई पापियों के पाप धोते धोते ' ।

क्या आपको लगता है की कुछ बदला है , बदलाव जमीन पर कहीं दिखा रहा है ?

मेरा मानना है की कतई नहीं , मोदी सरकार के आने के बाद कोई बड़ा बदलाव अभी भी नहीं दिखा है, सब ज्यों का त्यों चल रहा है , 
जिसके पार काला पैसा है वो और बना रहा है , अम्बानी-अडानी अब भी विकास कर रहे हैं और कोई भी सरकारी महकमा इनके खिलाफ चूं भी नहीं कर पा रहा । 

आज भी छत्तीसगढ़, ओडिशा , झारखण्ड में आदिवासी अपनी जमीन-जीवन के लिए संघर्ष कर रहे हैं और आज भी हमारी सरकार हमें मंदिर-राष्ट्रगान- लव जिहाद में फसा कर नचा रही है ।

खैर वापिस आते हैं विश्व बैंक वाली खबर पर , क्या सच में हमें गर्व करना चाहिए की अब हम प्रथम १०० देशो में आ गए हैं ? क्या सच में हम आगे बढ़ रहे हैं, क्या सच में अच्छे दिन आ रहे हैं ? 

हमारी आदत है की हम कभी खबर की तह में नहीं जाते , हम बस ये देखते हैं की हल्ला कहा मचा है , सब सहूलियत ही बात है । वैसे विश्व बैंक किस आधार पर इस तरह की रिपोर्ट निकलता है उसका पता नहीं लेकिन जब इस तरह की रिपोर्ट आती तो देखने को मिलता है की काफी हद तक गलत ही होती हैं । अब इसी रिपोर्ट को ले को पाएंगे की रवांडा ४१वे स्थान पर है । नाम तो सुना है न आपने इस देश का , मध्य अफ्रीका में है जो शायद सदियों से गृह युद्ध में फसा हुआ है लेकिन इस रिपोर्ट के हिसाब से वो भारत ही नहीं, बेल्जियम , इस्राएल आदि से भी आगे है । 

हम अभी १००वें स्थान पर है तो इतना हल्ला मचा रखा है , अगर खुदा न खास्ता , भारत ४१वें स्थान पर होता तो हो सकता है भारत सरकार हर घर में मिठाई बंटवा देती । 

सिर्फ ३ कारण हैं जिनकी वजह से भारत इस पायदान तक पंहुचा है - १, बिजली २. बैंकिंग सेवा ३. कॉर्पोरेट गवर्नेंस ( सेविंग माइनॉरिटी इन्वेस्टर्स ) .

ये तीनो व्यवस्थाएं समय के साथ सुदृढ़ हुई हैं , ना इसमें मोदी सरकार का कोई हाथ है और ना ही पीछे की सरकारें दावा ठोंक सकती है | जहाँ सरकारी स्तर पर सुधार की गुंजाईश है वह हम जस के तस हैं | 

जी हाँ , हम अभी भी नया व्यापर शुरू करने के मामले में १५६वें स्थान पर हैं, नए व्यापार को भवन सुविधा प्रदान करने के मामले में १८१वें स्थान पर हैं और व्यापार के लिए अधिकृत नियमो का पालन करवाने में १६४वें पायदान पर हैं | 

यकीन नहीं तो इस लिंक पर देख लीजिये तसल्ली मिल जाएगी http://www.doingbusiness.org/rankings 

अब समझ नहीं आता की ख़ुशी किस बात की है, इस बात की कि हमसे आगे रवांडा , टोंगा, ट्यूनिशिया और कोसोवो जैसे देश हैं या फिर इसलिए की पाकिस्तान १४१वे स्थान पर है | 

वैसे जानकारी के लिए बता दूँ, भूटान हमसे आगे हैं  और नेपाल मात्र ६ स्थान पीछे | 

मुझे नेताओ से या सरकार से ज्यादा उम्मीद कभी नहीं होती लेकिन दुःख तब होता है जब जनता सवाल करना बंद कर देती है , जब पत्रकारिता तलवे चाटने लगती है या जब पत्रकारिता विरोध में अंधी हो जाती है ( जैसे वायर और ndtv ) कर रहें हैं | 

बचपन में कहीं पढ़ा था की साहित्य समाज का दर्पण होती हैं और समाचार पत्र एक सजग सिपाही जो समाज को जगा कर रखता है | लगता है, "महगाई के युग में गारंटी की इच्छा ना करें" वाला दौर साहित्य और समाचार जगत में आ गया है इसलिए इस घोर चाटुकारिता केदौर में सत्य की उम्मीद ना पालें  | 

खैर मैंने लिंक दे दिया है, समय है तो पढ़ लीजिये और कोई सवाल हो तो जरूर पूछिए, कोशिश करूँगा जवाब देने की | 



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